Tuesday, August 27, 2019

प्फुत्सेरो हिल स्टेशन : शीतलता का रोमांच

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन को ग्रीन लैण्ड कहा जाना चाहिए। जी हां, प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर चौतरफा शांत, शीतल एवं शुद्ध पर्यावरण दिखता है। 

   सर्दियों में प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर्यटकों को बेहद रोमांचक एहसास कराता है। खास तौर से जब सर्दियों में तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। भारत के नागालैण्ड के फेक जिला का यह शानदार हिल स्टेशन सदैव शांत एवं शीतलता का एहसास कराता है। इसे आैषधीय वनस्पतियों का खजाना भी कहा जाता है। 

    प्फुत्सेरो हिल स्टेशन को आैषधीय वनस्पतियों की प्रचुरता प्राकृतिक समृद्धता सम्पन्न बनाती है। आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध प्फुत्सेरो हिल स्टेशन के परिवेश को मोहक बना देती है। नागालैण्ड का यह हिल स्टेशन वस्तुत: एक छोटा शहर है। 

   अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण प्फुत्सेरो हिल स्टेशन एक शांत शीतलता प्रदान करता है। हरा भरा यह शहर नागालैण्ड का सबसे शीतल शहर माना जाता है। यहां की शांत एवं शीतल जलवायु पर्यटकों को बेहद रोमांचक एहसास कराती है। 

    समुद्र तल से करीब 2133 मीटर ऊंचाई पर स्थित प्फुत्सेरो हिल स्टेशन अति दर्शनीय है। पर्यटकों को होम स्टे की सहूलियत भी मिल जाती है। लिहाजा पर्यटक विलेज टूरिज्म का भी आनन्द ले सकते हैं। नागालैण्ड की राजधानी कोहिमा से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित यह हिल स्टेशन पर्यटकों को एक खास ऊर्जा से भर देता है।

  शांत एवं शीतल जलवायु से आच्छादित प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर्यटकों को भरपूर आक्सीजन प्रदान करता है। प्फुत्सेरो पर पर्यटकों के फेफड़ों को मानों पंख लग जाते होते हों। मन-मस्तिष्क, दिल एवं दिमाग खास तौर से प्रफुल्लित हो जाता है। 

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन एवं आसपास सेब की खेती खास व्यवसाय है। लिहाजा चौतरफा सेब के बागान दिखते हैं। सेब की खास खुशबू परिवेश को काफी कुछ खास बना देते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पर्यटक किसी दूसरी दुनिया में विचरण कर रहे हों। चौतरफा सघन वन क्षेत्र या घाटियों-वादियों का सुरम्य वातावरण तन मन को एक खास ऊर्जा से लबरेज कर देता है। 

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन एवं आसपास दर्शनीय एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंृखला विद्यमान है। इसे अद्भुत एवं विलक्षण पर्यटन क्षेत्र कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। शायद यही कारण है कि प्फुत्सेरो हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटन में भी एक जाना पहचाना स्थल है। 

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन के आसपास अन्य दर्शनीय स्थलों में जुन्हबोतो भी विशिष्टताओं के लिए जाना पहचाना जाता है। सरमती पर्वत खास तौर से प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की शान एवं शोभा है। सतोई की पर्वत श्रंृखलाएं भी अति दर्शनीय है। घोसु पक्षी अभयारण्य भी प्फुत्सेरो हिल स्टेशन का विशेष आकर्षण है।

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की यात्रा खास तौर से अक्टूबर से अप्रैल की अवधि में करना चाहिए। कारण यह समय त्योहार एवं पर्व का माना जाता है। त्सखेनये फसल पर्व के तौर से धूमधाम एवं उत्साह से मनाया जाता है। 

   पर्यटक प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर ट्रैकिंग का भी आनन्द ले सकते हैं। सघन वन क्षेत्र में पक्षियों का कोलाहल एवं कलरव बेहद कर्णप्रिय होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे संगीत की सुमधुर राग रागिनी प्रवाहित हो रही हो। 

   विशेषज्ञों की मानें तो प्फुत्सेरो हिल स्टेशन भारत का मिनी स्विट्जरलैण्ड है। प्फुत्सेरो हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण ग्लोरी चोटी है। इस इलाके की यह सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। 
  इस पर्वत चोटी से आसपास की घाटियां-वादियां अति आकर्षक प्रतीत होती हैं। यहां से चौतरफा अति मनोरम दृश्य दिखता है। पर्यटक प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर मेहमाननवाजी का भरपूर आनन्द उठा सकते हैं। अतिथि देवो भव: की परिकल्पा प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर साकार दिखती है।

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट दीमापुर एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन रंगापापार जंक्शन है। रंगापापार रेलवे स्टेशन से प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की दूरी करीब 70 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
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Monday, August 26, 2019

मावल्यान्नॉग : गांव में हिल स्टेशन का आनन्द

       गांव में भी हिल स्टेशन का भरपूर आनन्द लें। जी हां, मेघालय के खासी हिल्स का गांव मावल्यान्नॉग किसी शानदार हिल स्टेशन से कम नहीं है। 

   मावल्यान्नॉग को एक आदर्श गांव के तौर पर देश दुनिया में जाना पहचाना जाता है। एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का खिताब मावल्यान्नॉग के खाते में जाता है। भारत के मेघालय के खासी हिल्स के इस गांव का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है। 

  खास यह है कि मेघालय के इस आदर्श गांव मावल्यान्नॉग में मातृवंश समाज की संरचना है। शिलांग से भारत-बांग्लादेश सीमा की ओर करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित मावल्यान्नॉग प्रकृति की आगोेश में रचा बसा एक सुन्दर एवं शानदार पिकनिक स्पॉट भी है।

   खास यह है कि चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली इन्द्रधनुषी आभा पर्यटकों को आकर्षित करती है। वस्तुत: मावल्यान्नॉग खासी समुदाय का इलाका है। खासी समुदाय की परम्परा की मानें तो परिवार की बड़ी बेटी ही पारिवारिक सम्पत्ति एवं धन दौलत की वास्तविक उत्तराधिकारी होती है। 

   मातृवंश परम्परा के अनुसार बेटी मां के उपनाम को धारण करती है। पर्वतीय क्षेत्र का यह शानदार गांव वस्तुत: मेघालय का एक सुन्दर आभूषण माना जाता है। वृक्ष एवं उनके तनों-जड़ों से संरचित आकर्षक पुल मावल्यान्नॉग की शान एवं शोेभा हैं। 

   मावल्यान्नॉग को मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन के हरे भरे मखमली घास के विशाल मैदान, पहाड़ों, झीलों एवं झरनों का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को सम्मोहित करते हैं। पर्यटक खास तौर से मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन पर बारिश के मौसम का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। 

   पर्यटक यहां मौसम का हर पल एक नया अंदाज देख सकते हैं। कभी आसमान साफ दिखेगा तो कभी झमाझम बारिश का अंदाज दिखेगा। मेघालय वस्तुत: पहाड़ियों में विभक्त है। इन पहाड़ियों को गारो हिल्स एवं खासी हिल्स के नाम से जाना पहचाना जाता है। मावल्यान्नॉग का पूर्वी इलाका खासी पहाड़ियों का इलाका है। लिहाजा मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन पर खासी समुदाय की आबादी है।

   मावल्यान्नॉग में पर्यटक खासी संस्कृति से रूबरू होने के साथ ही लजीज, स्वादिष्ट एवं चटखारेदार व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं। वस्तुत: देखें तो मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन किसी सुन्दर बाग-बगीचे की तरह दिखता है।
  हरियाली एवं विभिन्न प्रजातियों के फूलों से आच्छादित बाग-बगीचे एवं मैदान मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की शान एवं शोभा हैं। इस छोटे से गांव में 90 के आसपास घर हैं। 

  खास यह कि पूरा गांव पत्थर की मूर्तियों, लताओं एवं झाड़ियों से सुसज्जित दिखता है। यह आकर्षण अन्य कहीं भी दुर्लभ होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी विदेशी पिकनिक स्पॉट पर हों। पर्यटकों को मावल्यान्नॉग में होम स्टे की सहूलियत भी हासिल है। 

   लिहाजा पर्यटक मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन पर रात्रि विश्राम कर प्रकृति एवं गांव का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक संरचनाओं की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है।
  इनमें खास तौर से उमंगोट नदी, बोफिल फॉल्स, दाऊकी फॉल्स आदि इत्यादि बहुत कुछ है। मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन पर लकड़ी की संरचनाएं ही मुख्य रूप से दिखती हैं।

   खास यह कि इस शानदार गांव में ध्रूमपान की इजाजत नहीं है। उल्लंघन पर भारी जुर्माना की व्यवस्था है। इस गांव में सदियों पुराना एक चर्च भी है। चर्च परिसर आश्चर्यजनक रूप से सुन्दर है। चारों तरफ नारंगी एवं लाल सुर्ख फूलों के साथ ही बेलगाम की झाड़ियां अति सुन्दर प्रतीत होती है। 
   उमंगोट नदी: उमंगोट नदी देश की सबसे स्वच्छ नदी मानी जाती है। यह सुन्दर नदी खासी हिल्स एवं जयंती हिल्स से प्रवाहित होती है। नदी का पानी मोती सा चमकता दिखता है। इस नदी में पर्यटक नौकायन एवं जलक्रीड़ा का भी आनन्द ले सकते हैं। रात में नदी किसी सितारे की तरह चमकती है। पर्यटक नदी किनारे शिविर लगा कर रात्रि विश्राम का आनन्द ले सकते हैं। 
  बोफिल फॉल्स: बोफिल फॉल्स उमंगोट नदी से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित है। इसकी सुन्दरता बेहद दर्शनीय है। बोफिल झरना की चौड़ाई देखते ही बनती है।
  दाऊकी फॉल्स: दाऊकी फॉल्स बार्डर रोड़ पर स्थित एक अति सुन्दर झरना है। स्थानीयता में इसे दाऊजी फॉल्स भी कहते हैं। इसकी सुन्दरता के कारण इसे मेघालय का रत्न माना जाता है।
   मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट शिलांग एयरपोर्ट है। शिलांग एयरपोर्ट से मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की दूरी करीब 90 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी रेलवे जंक्शन है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की दूरी करीब 104 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
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ओडो बोटानिया: रोमांचक मखमली एहसास    ओडो बोटानिया को धरती का ताज कहा जाना चाहिए। जी हां, ओडो बोटानिया का प्राकृतिक सौन्दर्य विलक्षण है...